tag:blogger.com,1999:blog-6020294332861090447.post5990205108272303169..comments2023-09-24T02:55:14.599-07:00Comments on जन लोकपाल: जन लोकपाल कानून को लेकर भ्रमUnknownnoreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6020294332861090447.post-2159641262178199982011-08-24T01:50:14.035-07:002011-08-24T01:50:14.035-07:00इस देश में भ्रष्टाचार की जड़ जरूरत से ज्यादा कठो...इस देश में भ्रष्टाचार की जड़ जरूरत से ज्यादा कठोर कानून और उनका पालन सुनिश्चित करवाने के लिए तैनात इंस्पेक्टर हैं। वे आपके केस में खामियाँ (जोकि कानूनन सही होती हैं) निकाल कर आपका केस रोक सकते हैं। आपको उन खामियों को दूर करने/अनदेखा करने के लिए रिश्वत देनी पड़ती है। अगर आप उसे रिश्<br />वत न दें तो उसका कुछ नहीं बिगड़ता बल्िक आपका काम अटक जाता है। जन लोकपाल (यदि बन भी जाए) तो उस इंस्पेक्टर को उन खामियों को अनदेखा करने का आदेश नहीं दे सकता। इससे वह रिश्वत भले ही न ले, लेकिन आपका काम हो जाएगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। और हमारी आपकी समस्या काम होने की ज्यादा है, उसके रिश्वत लेने या नहीं लेने की इतनी नहीं है। <br /><br />इसलिए हमें (या कह लें मुझे) जन लोकपाल की बजाय कठोर कानूनों को आसान बनाने की जरूरत ज्यादा है। कानून सरल होंगे, इंस्पेक्टर के पास आपके केस में खामियाँ निकालने का मौका नहीं होगा, तो रिश्वत का कोई मौका ही नहीं बनता। जब तक कानून सरल नहीं होंगे, भ्रष्टाचार चलता रहेगा, लोग स्वयं ही रिश्वत देने को मजबूर होते रहेंगे। लोकपाल के पास जो शिकायत लेकर जाएगा, उसका काम उन्हीं खामियों की वजह से लटका रहेगा। <br /><br />कृपया इस विषय में अपनी टिप्पणियाँ अवश्य दें।amithttps://www.blogger.com/profile/13008875480199681154noreply@blogger.com