रालेगन सिद्धि का लोकल में ग्लोबल
रालेगन सिद्धि गांव 'लोकल में ग्लोबल' का अनूठा संगम बन गया है. पाकिस्तान के कुछ बन्धु यहां आकर अन्ना से पूरे दक्षिण एशिया के संकट निवारक बनने का आह्वावान करते हैं तो 25 साल से आस्ट्रेलिया में बसे व्यापारी जसबीर अहलूवालिया अन्ना के दर्शन करने के लिए अपने परिवार के साथ घंटों इंतज़ार करते हैं और फिर 200-300 की भीड़ के बीच अन्ना को देख-सुनकर, भाव विभोर होकर नमस्ते करते हैं.
दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत में जिस समय अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा अन्ना के आन्दोलन में वैश्विक परिवर्तन की संभावनाएं बता रहे थे, अन्ना हज़ारे उस वक्त रालेगन सिद्धि के अपने गांववासियों के साथ ग्राम सभा, जिसे यहां आधिकारिक रूप से 'रालेगन परिवार' कहा जाता है, में बैठे गांव के मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे. अन्ना के '8 बाई ८' के मशहूर कमरे के सामने यादव बाबा के मंदिर में यह सभा चल रही है. 2 अक्टूबर को पूरा रालेगन परिवार मिलकर 'गांव का जन्मदिन' मनाता है. गांव का सबसे बड़ा समारोह यही होता है. इस बार तो और भी बड़ा होने की तैयारी है क्योंकि पिछले जन्म दिन और इस बार के जन्म दिन के बीच गांव की ख्याति ने एक बड़ा रास्ता तय कर लिया है. ग्राम सभा की बैठक में अन्ना उसकी तैयारी की एक एक खबर बारीकी से सुनते हैं. बीच बीच में सुझाव देते हैं. गांव वाले 2 अक्टूबर को विशेष अतिथि के रूप में दिल्ली से टीम अन्ना के साथियों को बुलाना चाहते हैं. उस पर भी चर्चा होती है. अहमद नगर के एक कलाकार प्रमोद कांबले द्वारा उपहार में दी गई गांधी की मूर्ति मंदिर के प्रांगण में किस जगह लगाई जानी है, इस पर भी 80-90 लोगों के बीच जमकर चर्चा होती है. अन्ना बताते हैं कि गांधी की मूर्ति के साथ साथ भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के चित्र भी लगाए जाएं और उसके नीचे लता दीदी के गाने की लाइन 'ऐ मेरे वतन के लोगो ज़रा आंख में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी' भी लिखी जाए. देर शाम तीन घंटे तक चली ग्राम सभा में हंसते-बात करते कई प्रस्ताव पास होते हैं, 2 अक्टूबर के समारोह के लिए सवा लाख का चन्दा जमा होता है..