सेवा में,
माननीय सांसद महोदय
संसद
नई दिल्ली
विषय: मंत्रिमंडल द्वारा पारित 'गरीब-विरोधी लोकपाल बिल' को संसद में पेश किए जाने से रोकने हेतु विनम्र निवेदन
आदरणीय सांसद महोदय,
आपमें
से बहुत से भाइयों बहनों की तरह मैं भी लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करने की
दिशा में प्रयासरत हूं. आपमें से बहुतों की तरह मेरे प्रयास भी देश के आम
लोगों, गरीब किसानों, मजदूरों, नौकरीपेशा लोगों की समस्याओं को दूर करने
के लिए समर्पित रहे हैं. और आपमें से बहुतों की तरह ही मैंने भी देखा है कि
गरीब आदमी किस तरह भ्रष्टाचार की सर्वाधिक मार झेल रहा है.
आम
गरीब आदमी के हितों की रक्षा के लिए ही मैंने लोकपाल के लिए बनी साझा
ड्राफ्टिंग समिति में शामिल होना स्वीकार किया था. लेकिन मुझे अफसोस के साथ
कहना पड़ रहा है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जिस लोकपाल बिल को मंजूरी दी
है उसमें आम आदमी के भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाने वाले अधिकतर मुद्दे नज़र अंदाज़ कर दिए गए हैं.
संसद में इतना कमजोर बिल लाना संसद और सांसद, दोनों का अपमान है, इसमें बहुत से ऐसे मुद्दे हैं ही नहीं जिन पर संसद में बहस होनी चाहिए थी. ऐसे कुछ प्रमुख मुद्दे हैं -
1.
आम जनता की शिकायत के निवारण के लिए एक प्रभावी व्यवस्था - जिसमें तय समय
सीमा में किसी विभाग में एक नागरिक का काम न होने पर, दोषी अधिकारी पर
ज़ुर्माने का भी प्रावधान है, ताकि गरीब लोगों को भ्रष्टाचार से राहत मिल सके.
2.
लोकपाल के दायरे में गांव, तहसील और ज़िला स्तर तक के सरकारी कर्मचारियों
को लाना- गरीबों, किसानों, मजदूरों और आम जनता को इन कर्मचारियों का
भ्रष्टाचार अधिक झेलना पड़ता है. वैसे भी निचले स्तर के कर्मचारियों के
भ्रष्टाचार को लोकपाल के दायरे में लाए बिना आला अफसरों के भ्रष्टाचार की
जांच करना भी संभव नहीं होगा.
3.
केंद्र सरकार के लिए लोकपाल और राज्य
सरकारों के लिए लोकायुक्त का गठन इसी कानून के तहत किया जाए. क्योंकि गरीब
लोगों का वास्ता राज्य सरकार के कर्मचारियों से ही ज्यादा पड़ता है.
4. लोकपाल के कामकाज को पूरी तरह स्वायत्त बनाने के लिए
वित्तीय स्वतंत्रता, सदस्यों के चयन एवं हटाने की निष्पक्ष प्रक्रिया हो.
5.
इसी तरह कई और महत्वपूर्ण मुद्दे जिसमें लोकपाल की जवाबदेही बनाए रखते
हुए,
प्रधानमंत्री, सांसद और न्यायाधीश के भ्रष्टाचार की जांच को लोकपाल के
दायरे में लाना, भ्रष्ट अफसरों को हटाने की ताकत लोकपाल को देने के मामले
भी शामिल हैं.
लोकपाल के बारे में मुद्दे तो बहुत से हैं लेकिन मैं
यहां विशेष रूप से भ्रष्टाचार के चलते गरीब आदमी की बदहाली की ओर ध्यान
दिलाना चाहता हूं. सरकार ने जो लोकपाल बिल तैयार किया है उसमें गरीब आदमी
को भ्रष्टाचार से राहत दिलवाने का कोई इंतज़ाम है ही नहीं.
अगर
सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती है तो मैंने 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन उपवास
पर बैठने का ऐलान किया है. मेरा यह उपवास संसद के विरोध में नहीं बल्कि
सरकार के कमजोर बिल के विरोध में होगा.
मैं उम्मीद करता हूं कि देश की संसद अपनी परंपरा और दायित्वों का निर्वाह करते हुए ऐसे गरीब विरोधी बिल को संसद में आने से रोकेगी.
सरकारी लोकपाल बिल और जनलोकपाल बिल के अंतर का तुलनात्मक विवरण आपके संदर्भ हेतु इस पत्र के साथ संलग्न कर भेज रहा हूं.
भवदीय दिनांक: 2 अगस्त 2011
किशन बाबूराव हज़ारे (अन्ना हज़ारे)