रालेगन के पद्मावती मंदिर में सैकड़ों साल पुराना यह वटवृक्ष भी यहाँ आने वालों के लिए कौतुहल का विषय होता है. कोई इसके आकार के आगे खुद को बौना महसूस करने लगता है तो कोई इसकी उम्र के आकलन में उलझ जाता है - २०० साल, नहीं ३००-४०० साल से कम नहीं....
पुणे से
आई ४०० छात्रों की टोली की एक लड़की को इसे देखकर अवतार फिल्म के
'स्प्रिचुअल ट्री' की याद आ गई. रालेगन के अवतार से मिलने आई लड़की फ़िल्मी अवतार में खो गई. अन्ना के तप के सहयोगी-साक्षी रहे इस मौन तपस्वी की छांव में अब अन्ना देश की आत्मा को ज़िंदा करने में लगे हैं.
इसी बरगद की छाँव में बने एक एकरे में अन्ना से बातचीत हो रही है. “काम, काम का गुरू होता
है“.... दिमाग को चीरती हुई यह लाईन सीधे दिल में उतर गई. अनुभव, पहल,
हिम्मत, अभ्यास जैसे तमाम भाव इस छोटे से वाक्य में एक साथ समाए हैं.
रालेगन सिद्धि के विकास का फलसफा समझाते हुए अन्ना ने आज यह बात कही तो इस
एक वाक्य में उनकी पूरी ज़िन्दगी का दर्शन मेरे सामने आ गया. मुझे वाक्य
में उलझते देख अन्ना ने दोहराया “काम ही काम का गुरू होता है. हर काम
सिखाता है कि आगे क्या करना है“ बात सीधी सी थी लेकिन इसे इसकी गहराई के
साथ आत्मसात करना ज़रूरी था.
अन्ना ने फिर दोहराया, “काम ही सिखाता है कि आगे क्या करना है. जो काम हाथ में लिया वही उसका गुरू बन जाता है, और आगे क्या करना है सिखाता रहता है.... आज रालेगन गांव को आप देखते हैं तो लगता है कि पूरा काम बहुत प्लानिंग करके किया गया होगा. लेकिन हकीकत यह है कि काम शुरू करने से काम आगे बढ़ा. हमने सीखा, सबने सीखा कि आगे क्या करना है.......... “
इस सबके बीच सीखने करने वाले की पहचान भी अन्ना ने बताई. कार्यकर्ता को ध्येयवादी बनना ज़रूरी है. (समाज का) कोई काम दूसरा करे (यानि दूसरों पर निर्भर रहना), उस काम से अपेक्षा रखना (पद पैसे आदि की अपेक्षा) और प्रसिद्धि के लिए सामाजिक काम करना, इन तीनों से कार्यकर्ता अपने ध्येय से भटकता है.
Bilkul thik kahaa sir aapne . Annaji ki kathni or karni ek he jo aajkal bahut kam logon men dekhi jaati he .
ReplyDeleteबहुत ही अनुकरणीय है ,अन्नाजी की ये बातें .हमलोगों को इसपे अमल करनी चाहिए ...
ReplyDeleteAa j k samay main aisi shaksiyat ka milna nishchit hi namumkin hai, aur shayad hi bhavishya main mile, yeh baat ki kaam kaam ka guru hota hai isme wakai bahut gehrai hai, jo is mantra ko apne dil main utar lega wo nishchit hi safalta ka aadi ban jayega. Thank u sir ji for sharing this.
ReplyDeleteEveryone should read it, realise it, and finally do it practically. I think, it can't be possible only by giving comments or talking about, practical is must to achieve the final goal.
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