Monday, April 11, 2011

न्यायपालिका और जन लोकपाल


न्यायपालिका के भ्रष्टाचार की जांच
हमारे देश की न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार काफी चरम सीमा पर पहुंच गया है, आए दिन हम अखबारों में पढ़ते हैं कि फलां-फलां जज के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश हमारी पूरी की पूरी व्यवस्था में जजों के भ्रष्टाचार को जाँच करने के लिए और उनके ऊपर मुकदमा चलाने के लिए कोई भी स्वतन्त्र ऐजेंसी नहीं है। जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार की बात भी जन लोकपाल बिल में लिखी गई है। 

न्यायपालिका में भ्रष्टाचार नियन्त्रण की वर्तमान व्यवस्था 
वर्तमान व्यवस्था के मुताबिक अगर किसी जज के भ्रष्टाचार के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करनी है तो चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया से इजाज़त लेनी पड़ती है। लेकिन जनलोकपाल कानून में लिखा है कि अब चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया से इजाज़त नहीं लेनी होगी, क्योंकि अभी तक का इतिहास यह बताता है कि जब-जब चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया से इजाज़त मांगी गई, तब-तब उन्होंने भ्रष्ट जजों के खिलाफ इजाज़त देने से मना कर दिया। 

कई लोगों का ये मानना है कि भ्रष्ट जजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की पावर लोकपाल को नहीं दी जाए. उनका मानना है कि आज का जो सिस्टम है कि चीफ जस्टिस ऑफ इण्डिया ही भ्रष्ट जजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की परमिशन देते है, यही सिस्टम चालू रखा जाए। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सिस्टम ठीक है? क्या इससे न्याय व्यवस्था के अन्दर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है? या ये भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है?

जनलोकपाल कानून के बाद
किसी जज के भ्रष्टाचार की जांच करने की इजाज़त और दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ मुकदमा शुरू करने की इजाज़त लोकपाल की सात सदस्यीय बैंच देगी। जनलोकपाल बिल में सुझाव दिया है कि भ्रष्ट जज के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करने के पहले देश के मुख्य न्यायधीश की जगह लोकपाल के सात सदस्यों (जिसमें कानूनी पृष्ठभूमि के लोग बहुतायत में हों), की बैंच इस बारे में निर्णय लें और खुले में इसकी सुनवाई की जायेगी ताकि पूरी दुनिया को ये पता चल सके कि इजाज़त ठीक दी गई या गलत दी गई।

न्यायपालिका को लेकर भ्रम 
ड्राफ्टिंग समिति के अन्दर अब न्याय व्यवस्था में भ्रष्टाचार के अहम मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई है, मीडिया में कुछ जगह ऐसा छप रहा है कि उच्च न्याय-व्यवस्था को लोकपाल के दायरे में लाया जाएगा। इससे एक भ्रम पैदा होता है कि न्याय व्यवस्था की स्वतन्त्रता को खतरा पैदा होगा।

भ्रष्ट जजों को चिन्हित करके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से हमारी न्याय व्यवस्था की छवि और उसकी स्वतन्त्रता बढ़ेगी। यदि उनके नामों को छिपाकर रखा गया तो ये गन्दी मछली की तरह सारे तालाब को गन्दा कर देंगे। कुछ भ्रष्ट जजों को संरक्षण देने से तो हमारी न्याय व्यवस्था की स्वतन्त्रता और खतरे में पड़ जाएगी। 
संयुक्त लोकपाल बिल ड्राफ्टिंग समिति की तीसरी बैठक में श्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि देश के दो पूर्व न्यायधीश जनलोकपाल बिल के इस प्रस्ताव के खिलाफ हैं। उनका इशारा जस्टिस वेंकटचेलैया और जस्टिस जे.एस. वर्मा की तरफ था। 

जस्टिस वेंकटचेलैया तो स्वयं खुद इस गलत प्रक्रिया के भुक्त भोगी हैं। जब वे देश के प्रधन न्यायधीश थे तो खुद श्री पी. चिदम्बरम ने उनसे जस्टिस अजीत सेन गुप्ता के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज करने की इजाज़त मांगी थी जो उन्होंने नहीं दी थी। सबूतों की परिपक्वता का अन्दाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रिटायर होने के अगले ही दिन जस्टिस अजीत सेन गुप्ता के घर पर सीबीआई के छापे पड़ गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ऐसे सबूत होने के बावजूद उनके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करने की इजाज़त नहीं दी गई थी। इसीलिए अब जनता की उम्मीद है कि जो प्रणाली आज तक न्याय-व्यवस्था में भ्रष्टाचार को संरक्षण देती आई है, सब मिलकर उसे बदल दें।

देश इस वक्त ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है। एक तरफ जहां चारों ओर भ्रष्टाचार, भारत के अस्तित्व के लिए खतरा बन गया है, तो दूसरी तरफ जनता के संगठन और आन्दोलन ने आशा की एक नई किरण जगा दी है। इस ऐतिहासिक मौके पर यदि न्याय व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को छोड़ दिया जाएगा तो देश हम सबको कभी माफ नहीं करेगा।

जस्टिस वेंकट चेलैया ने एक न्यायिक सुधार बिल का मसौदा तैयार किया है और वे चाहते हैं कि न्याय-व्यवस्था के भ्रष्टाचार की बातें उस कानून के तहत लाई जाएं। उनका यह सुझाव बहुत अच्छा है। पर इनके द्वारा बनाए गए बिल का मसौदा अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है। अभी तो उस पर काफी काम होना बाकी है। 

कुछ लोगों ने कहा है कि लोकपाल के दायरे में न्याय-व्यवस्था के भ्रष्टाचार को लाने से उनके काम का बोझ कई गुना बढ जाएगा। यह लोगों को भ्रमित करने वाली बात है अभी देश में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट को मिलाकर कुल करीब 1000 जज हैं। एक अवकाशप्राप्त प्रधन न्यायाधीश  ने एक बार कहा था कि उच्च न्याय व्यवस्था में करीब 20 प्रतिशत जज भ्रष्ट हैं। अगर यह मान भी लिया जाए कि इन सबके खिलाफ एक साथ शिकायतें आ जाएंगी तो करीब 200 शिकायतें ही आएंगी। इतने थोड़े से काम से लोकपाल की व्यवस्था चरमराने वाली नहीं है। 

कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जजों की परिस्थितियों को जज ही समझते हैं। इसलिए उनके भ्रष्टाचार के बारे में निर्णय लेने के अधिकार जजों को ही दिए जाने चाहिए। यह बात सरासर गलत है। एक जज अगर रिश्वत लेता है तो इसमें ऐसी कौन सी समझने या न समझने वाली बात है। रिश्वत लेना तो गलत है ही। इस तरह तो हमारे नेतागण भी कहेंगे कि नेताओं के भ्रष्टाचार के बारे में केवल नेता ही निर्णय लेंगे, पुलिस विभाग वाले कहेंगे कि पुलिस विभाग के अधिकारी ही अपने बंधुओं के भ्रष्टाचार के बारे में निर्णय लेंगे। इस तर्क के पीछे कहीं न अपनी बिरादरी के लोगों को बचाने की मंशा नज़र आती है। ऐसे तर्कों से हमें बचना है।

27 comments:

  1. jan lokpal corrution ke khilaf ak dum sahi pahal hai aur me iske sath hu

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  2. jan lokpal bill is desh ki jarurat hai,aur ishe kisi bhi hal main parit hona hai.Yeh hokar rahega kyoki yeh is desh ki maang hai.

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  3. Civil society ka bil aaj ki paristhitiyon mai ek dam sahi or santulit hai, yeh aana hi chahiye. aage kuch sudharon ki jaroorat mahsoos hoti hai to usme sudhar to kiye hi ja sakte hai or samay ke sath jarooraton ke unusar sudhar hote bhi rahne chahiye. yeh angrejon ke samay ke kanoon desh kab tak dhota rahega jinme angrejon ne desh ko lootne ke sabhi raste khule rakhe the or adikarion/judges (jo amooman angrej hote the)ko bachane ke liye unhe kanooni suraksha pradan ki thi. Ab desh me adhikari/judge jansevak hai ruler nahi

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  4. जहाँ तक मुझे लगता है की भारत के अधिकतर संस्थाओ चाहे वह निजी हो या शाशकीय, भ्रष्टाचार जड़ जमा चूका है तो हम न्यायपालिका को कैसे छोड़ सकते है | न्यायपालिका भारतीय लोकतंत्र का प्रमुख स्तम्भ है और यदि इसके अन्दर पनपे भ्रष्टाचार के लिए कोई उपाय नहीं किया गया तो जनता किस पर विश्वास करेगी क्योकि राजनेता तो पहले विश्वास तोड़ चुके है | अतः इन्हें भी "लोकपाल के दायरे" में लाना होगा | यदि लोकपाल के बहार रहते है तो इनके भ्रष्टाचार की जानकारी होने के बावजूद कार्यवाही करने के लिए उम्र के ६५ वर्ष तक का इंतजार करना पद सकता है जबकि मंत्रियो में ५ वर्ष तक |

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  5. thats rigrt inko bhi aana chahiye iske daire mai

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  6. sarkaar matlab haraamkhori....beimaani..yahi h aaj ka india....isko great india me badakna h to dabse pehle anna ka saath dena chahiye

    I am with anna hazare...jai ho hamare pyare

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  7. चोर चोर मौसेरे भाई होता है।
    पर यहाँ के भ्रष्ठ लोगो ने ये साबित कर दिया कि-
    "भ्रष्ठ भ्रष्ठ सगे भाई"
    आखिर कोइ भ्रष्ठ कैसे किसी दूसरे भ्रष्ठ पर कोइ कार्यवाही होने दे सकता है?????

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  8. My request is to Shri Anna ji for strike against corruption which is coming on 16th august 2011, the government had not given permission and Section 144 IPC already is done there. in this regard my submission is to Mr. Anna Ji - you strike there as a single person not / without team and your team and we will doing the strike in out of areas where section 144 not covered because all the peoples of the country knows that this is a mean and final time for battle of corruption. if u will done alone and as a single person then it will come the second battle after freedom of india.

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  9. i am with you and your stand against corruption.

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  10. utar aao sab sadkon par jab ek saath ek arab janata sawal puchegi to kya jawab degi sarkar........

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  11. JUDGE ASO VA KONIHI ASO BHRASHTACHAR KARNARYALA SAJA MILALICH PAHIJE. PAISE GHEUN NIKAL DENARE ANEK MAHABHAG JUDGE AAPLYA NYAYALAYAT SAPDLE AAHET ... MHANUN NYAYPALIKA SUDDHA JANLOKPAL BILLACHYA ANTARGAT AALICH PAHIJE.

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  12. bhai maneesh jee
    sarkar ka lokpal bill kamjor hai aapka bill bhi ispashat nahin hai. you says yadi judge rishwat leta hai to use lokpal sajaaa denge saaath hi aap kahate hai ki anumati saat judgs ki lokpal bench degi.azeeb ulatbansi hai kripaya ispashat kare
    lokpal ki niyukati prakriya men bhi aap sahi nahi hai civil society koi savedhanik sanstha to hai nahin phir kaise ye ek savedhanik lokpal ka prarambhik chayan kar sakti hai. kripya sanvidhan ke kan peeche se haath laakar na pakde
    aap high court ya supreme court ke vakeelo ko itna adhik mahatva kayon de rahe hai ye court kisi yogyata ke janch ka maapdand nahi ho sakte aaj bhi aise advocaste hai jo 15 se adhik saal baad bhi zero hain aise me yadi inhe hi rakhana hai to shart ho ki jis advocate ne kam se kam 500 p i l sarkar ke khilaf jeeti ho vahi lokpal ka member ho sakta hai to isse bharashtchaar ke khilaf mazboot vyavashtha ka janam hoga.
    aap i p c ke adhikaar chahte hai aur shayad ye i p c hi aadhe se adhik bhrashtacharo ki janani hai ise main kaya police thaane bhi aapke adhikaar main honge ya nahi.
    bharashtachaar ke khilaaf aapne mahol bana diya desh aap ka dhanayvaad karta hai par ek baar v.p. singh bhi aisa kar chuke hain.
    apne andolan ko aap aazaadi ki doosri ladaai kah rahe hain kripya bataaye ki aapaat kaalo ke khilaag ladaai ko aap mahatavheen kayo karna chaahte hain
    shesh baad main

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  13. corrution ke khilaf ak dum sahi pahal hai me iske sath hu

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  14. hum jan lokpal bill ke paksh me hain

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  16. i like lokpal bill & support heartly anna ji

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  17. doston aise logo ko kam se kam mritudand dena chahiye. (yuth president haryana-9136188002)

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  18. weeeeeeeeee
    supppport
    anna
    hzareeeeeeeeeee

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  19. hum jan lokpal bill ke paksh me hain

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  20. ok i understand.
    Bharat mata ki jay lage raho

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  21. hum jis neta ko sansad bana kar sansad mein bhejata hai wahi neta jan lokpal bill ka samarthan ku nahi karate ? Pubil ki awaj ku nahai samajhate ? Agar deshdroh ki saja maut/ajivan karavas hai to brastachar ki saja bhi maut/ajivan karavas ku nahi? jaise china me hai . hamare desh mein neta hajaro karor rs ka ghotala karate hai to itni mamuli saja ku?
    please bas karo ye khel ab sahi se desh chalo nahi to chhod to gaddi.

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  22. sabase bada lokpal ho uske dayre me sab aaye

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