खलक खुदा का, मुलुक बाश्शा का
हुकुम शहर कोतवाल का
हर खासो-आम को आगह किया जाता है
कि खबरदार रहें
और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से
कुंडी चढा़कर बन्द कर लें
गिरा लें खिड़कियों के परदे
और बच्चों को बाहर सड़क पर न भेजें
क्योंकि
एक बहत्तर बरस का बूढ़ा आदमी अपनी काँपती कमजोर आवाज में
सड़कों पर सच बोलता हुआ निकल पड़ा है
हुकुम शहर कोतवाल का
हर खासो-आम को आगह किया जाता है
कि खबरदार रहें
और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से
कुंडी चढा़कर बन्द कर लें
गिरा लें खिड़कियों के परदे
और बच्चों को बाहर सड़क पर न भेजें
क्योंकि
एक बहत्तर बरस का बूढ़ा आदमी अपनी काँपती कमजोर आवाज में
सड़कों पर सच बोलता हुआ निकल पड़ा है
शहर का हर बशर वाकिफ है
कि पच्चीस साल से मुजिर है यह
कि हालात को हालात की तरह बयान किया जाए
कि चोर को चोर और हत्यारे को हत्यारा कहा जाए
कि मार खाते भले आदमी को
और असमत लुटती औरत को
और भूख से पेट दबाये ढाँचे को
और जीप के नीचे कुचलते बच्चे को
बचाने की बेअदबी की जाये
कि पच्चीस साल से मुजिर है यह
कि हालात को हालात की तरह बयान किया जाए
कि चोर को चोर और हत्यारे को हत्यारा कहा जाए
कि मार खाते भले आदमी को
और असमत लुटती औरत को
और भूख से पेट दबाये ढाँचे को
और जीप के नीचे कुचलते बच्चे को
बचाने की बेअदबी की जाये
जीप अगर बाश्शा की है तो
उसे बच्चे के पेट पर से गुजरने का हक क्यों नहीं ?
आखिर सड़क भी तो बाश्शा ने बनवायी है !
उसे बच्चे के पेट पर से गुजरने का हक क्यों नहीं ?
आखिर सड़क भी तो बाश्शा ने बनवायी है !
बुड्ढे के पीछे दौड़ पड़ने वाले
अहसान फरामोशों ! क्या तुम भूल गये कि बाश्शा ने
एक खूबसूरत माहौल दिया है जहाँ
भूख से ही सही, दिन में तुम्हें तारे नजर आते हैं
और फुटपाथों पर फरिश्तों के पंख रात भर
तुम पर छाँह किये रहते हैं
और हूरें हर लैम्पपोस्ट के नीचे खड़ी
मोटर वालों की ओर लपकती हैं
कि जन्नत तारी हो गयी है जमीं पर;
अहसान फरामोशों ! क्या तुम भूल गये कि बाश्शा ने
एक खूबसूरत माहौल दिया है जहाँ
भूख से ही सही, दिन में तुम्हें तारे नजर आते हैं
और फुटपाथों पर फरिश्तों के पंख रात भर
तुम पर छाँह किये रहते हैं
और हूरें हर लैम्पपोस्ट के नीचे खड़ी
मोटर वालों की ओर लपकती हैं
कि जन्नत तारी हो गयी है जमीं पर;
तुम्हें इस बुड्ढे के पीछे दौड़कर
भला और क्या हासिल होने वाला है ?
भला और क्या हासिल होने वाला है ?
आखिर क्या दुश्मनी है तुम्हारी उन लोगों से
जो भलेमानुसों की तरह अपनी कुरसी पर चुपचाप
बैठे-बैठे मुल्क की भलाई के लिए
रात-रात जागते हैं;
और गाँव की नाली की मरम्मत के लिए
मास्को, न्यूयार्क, टोकियो, लन्दन की खाक
छानते फकीरों की तरह भटकते रहते हैं…
तोड़ दिये जाएँगे पैर
और फोड़ दी जाएँगी आँखें
अगर तुमने अपने पाँव चल कर
महल-सरा की चहारदीवारी फलाँग कर
अन्दर झाँकने की कोशिश की
क्या तुमने नहीं देखी वह लाठी
जिससे हमारे एक कद्दावर जवान ने इस निहत्थे
काँपते बुड्ढे को ढेर कर दिया ?
वह लाठी हमने समय मंजूषा के साथ
गहराइयों में गाड़ दी है
कि आने वाली नस्लें उसे देखें और
हमारी जवाँमर्दी की दाद दें
जिससे हमारे एक कद्दावर जवान ने इस निहत्थे
काँपते बुड्ढे को ढेर कर दिया ?
वह लाठी हमने समय मंजूषा के साथ
गहराइयों में गाड़ दी है
कि आने वाली नस्लें उसे देखें और
हमारी जवाँमर्दी की दाद दें
अब पूछो कहाँ है वह सच जो
इस बुड्ढे ने सड़कों पर बकना शुरू किया था ?
इस बुड्ढे ने सड़कों पर बकना शुरू किया था ?
हमने अपने रेडियो के स्वर ऊँचे करा दिये हैं
और कहा है कि जोर-जोर से फिल्मी गीत बजायें
ताकि थिरकती धुनों की दिलकश बलन्दी में
इस बुड्ढे की बकवास दब जाए
नासमझ बच्चों ने पटक दिये पोथियाँ और बस्ते
फेंक दी है खड़िया और स्लेट
इस नामाकूल जादूगर के पीछे चूहों की तरह
फदर-फदर भागते चले आ रहे हैं
और जिसका बच्चा परसों मारा गया
वह औरत आँचल परचम की तरह लहराती हुई
सड़क पर निकल आयी है।
फेंक दी है खड़िया और स्लेट
इस नामाकूल जादूगर के पीछे चूहों की तरह
फदर-फदर भागते चले आ रहे हैं
और जिसका बच्चा परसों मारा गया
वह औरत आँचल परचम की तरह लहराती हुई
सड़क पर निकल आयी है।
ख़बरदार यह सारा मुल्क तुम्हारा है
पर जहाँ हो वहीं रहो
यह बगावत नहीं बर्दाश्त की जाएगी
पर जहाँ हो वहीं रहो
यह बगावत नहीं बर्दाश्त की जाएगी
कि
तुम फासले तय करो और
मंजिल तक पहुँचो
तुम फासले तय करो और
मंजिल तक पहुँचो
इस बार रेलों के चक्के हम खुद जाम कर देंगे
नावें मँझधार में रोक दी जाएँगी
बैलगाड़ियाँ सड़क-किनारे नीमतले खड़ी कर दी जाएँगी
ट्रकों को नुक्कड़ से लौटा दिया जाएगा
सब अपनी-अपनी जगह ठप
क्योंकि याद रखो कि मुल्क को आगे बढ़ना है
और उसके लिए जरूरी है कि जो जहाँ है
वहीं ठप कर दिया जाए
नावें मँझधार में रोक दी जाएँगी
बैलगाड़ियाँ सड़क-किनारे नीमतले खड़ी कर दी जाएँगी
ट्रकों को नुक्कड़ से लौटा दिया जाएगा
सब अपनी-अपनी जगह ठप
क्योंकि याद रखो कि मुल्क को आगे बढ़ना है
और उसके लिए जरूरी है कि जो जहाँ है
वहीं ठप कर दिया जाए
बेताब मत हो
तुम्हें जलसा-जुलूस, हल्ला-गूल्ला, भीड़-भड़क्के का शौक है
बाश्शा को हमदर्दी है अपनी रियाया से
तुम्हारे इस शौक को पूरा करने के लिए
बाश्शा के खास हुक्म से
उसका अपना दरबार जुलूस की शक्ल में निकलेगा
दर्शन करो !
वही रेलगाड़ियाँ तुम्हें मुफ्त लाद कर लाएँगी
बैलगाड़ी वालों को दोहरी बख्शीश मिलेगी
ट्रकों को झण्डियों से सजाया जाएगा
नुक्कड़ नुक्कड़ पर प्याऊ बैठाया जाएगा
और जो पानी माँगेगा उसे इत्र-बसा शर्बत पेश किया जाएगा
लाखों की तादाद में शामिल हो उस जुलूस में
तुम्हें जलसा-जुलूस, हल्ला-गूल्ला, भीड़-भड़क्के का शौक है
बाश्शा को हमदर्दी है अपनी रियाया से
तुम्हारे इस शौक को पूरा करने के लिए
बाश्शा के खास हुक्म से
उसका अपना दरबार जुलूस की शक्ल में निकलेगा
दर्शन करो !
वही रेलगाड़ियाँ तुम्हें मुफ्त लाद कर लाएँगी
बैलगाड़ी वालों को दोहरी बख्शीश मिलेगी
ट्रकों को झण्डियों से सजाया जाएगा
नुक्कड़ नुक्कड़ पर प्याऊ बैठाया जाएगा
और जो पानी माँगेगा उसे इत्र-बसा शर्बत पेश किया जाएगा
लाखों की तादाद में शामिल हो उस जुलूस में
और
सड़क पर पैर घिसते हुए चलो
ताकि वह खून जो इस बुड्ढे की वजह से बहा,
ताकि वह खून जो इस बुड्ढे की वजह से बहा,
वह पुँछ जाए
बाश्शा सलामत को खूनखराबा पसन्द नहीं
right........to ....recoll..
ReplyDeleteबस बाश्शा कि शक्ल बदल गयी, आत्मा वही है....history repeats itself...आम आदमी आज भी वैसे ही पिस रहा है, और बादशाह अमन-पसंद है....
ReplyDeleteStrange ! Much hasn't changed between 1971 and 2011
ReplyDeleteइतिहास अपने को दुहराता है , सिर्फ किरदार बदल गए उनकी चाल नही बदली !
ReplyDeleteAnna ji sahi kehte hain prashuti ki bedna banjh kya jane, ye to ek maa samjhti hain, or ye sarkar to banjh hain
ReplyDeletebassa ki baadsahat thori kam to hui hai par puri tarah nhi gyi....koi baat nhi abki harek baadshah hoga..
ReplyDeletekal vah kuch tha aaj kuch hai shakal hi badali hai baadshah ki kutumb vahi hai parivaar vahi hai, danda vahi hai han kal vo thi aaj yah hai. dono ek hi sikke ke do head tail hani.
ReplyDeleteis samay ke liye upayukt kavita....padhane ke liye shukriya
ReplyDeleteab in badshaho ko bhi bhukh ka dar dikhana hoga!!!
ReplyDeletejiske liye inki taqat chali jane ka dar dikhana hoga!!!
sirf team anna nahi pura desh bolega janlok bill lao nahi toh jao!!!!!
Kuchh bhi nahi badla. 1947 ho ya 1977 ya 2011 Hukumat tanashah hota hai.
ReplyDeleteI think it is going to be change very soon.....and the perception will change of all aam janta.
ReplyDeletekuch nahi badla pheley british loot kar ley ja rahe the ab congress loot kar swiss ley ja rahi hai, lut to aam admi raha hai
ReplyDeleteThe world's Worst, Shameless, Immoral & Irresponsible politician team of govt. in today's scenario, Our so called p.m. & his team is a team of gays who are neither unable nor having instinct or will to do fight against " CORRUPTION, BLACK MONEY, TERRORISM, INFLATION, EDUCATION SYSTEM, UNEMPLOYMENT. RED TAPISM & many more. The Kasab & Afjal type of inhuman are the baby's of govt. They are growing with the blood of Indian citizen instead of milk. & our govt help's him to serve the blood. We've to learn from America who take revenge. while we've the coward politician who can't fight. They only give statements such in fullish manner. Our so called p.m. asked to cut the salaries of pvt company's CEO's & directors. He is unable to see the salaried along with such high perks & incentives of politician. Still 04 days past & no new things happened in "SANSAD"
ReplyDeleteIt is well known that in spite our democratic value as well as sovereign country where PM is the powerful and in another words if he wishes becomes dictator. Open the pages of Shrimati Indra Gandhi's period of her declaration of emergency. Today the situation is different. PM is merely a computer whose remote control is with a lady whose political status is ??? The true cleaned, green man (PM) though well qualified, intelligent, experienced, world renowned economist, can lead the country in systematic way, but became ineffective, helpless in the words became politically disabled. that's all.
ReplyDeletePlease, do not pass comments, Bassasha, does not appreciate. Do not collect in a group and discuss on any thing important like "Black Money" Basha and the crown Prince do not appreciate. The well wishers of Bashsha may get the Lathi Charge done on you which may break your neck. Basha is peace loving, please do not create rukus by your comments. Bashsha feels hurt!!!It is your duty to take care of your Bashsha let her do what she likes !!! Bow your head and dont look into the eyes of Bashsha, if you love your eyes & life !!!
ReplyDeleteबादशाह तो हुकूमत करने के आदि हैं , सीख जायेंगे जल्दी ही अभी तक इन्होने रियाया को रोते सूना है दहाड़ते नहीं
ReplyDeletevery good
ReplyDeleteWe need to show badshah salamt that he will be salamt only when we(praja) want him to be salamat
ReplyDeletesoonsaan galiyon se choro ki tareh guzarte hue,
ReplyDeletemai apne ap se ye sawal karta hun..
ki
kya azaadi ka matlab teen thake hue rango se hai..
jise ek pahiya dhota hai..!
ya..
is ka koi khaas matlab hota hai..!
these are great line
ReplyDeleteAnaa ke aandolan ke pariprekshya me Ye Panktiyaa aaj bhi utni he Prasangik hai.
ReplyDeletesuperb lines .. and if we see today's environment same is happening, Govt is trying to crush this movement at any cost.
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