Friday, December 23, 2011

सरकारी लोकपाल बिल जन विरोधी है



·         ये क़ानून जन विरोधी  है। इस क़ानून का मकसद केवल लोकपाल नामक संस्था बनाकर, जो कि सरकारी शिकंजे में रहेगी, इस देश के लोगों का दमन करना है। इस क़ानून का हम पुरज़ोर विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि ये क़ानून वापिस लिया जाए और खारिज किया जाए।

·         इस क़ानून के दायरे में इस देश के सारे मंदिर, मिस्ज़द, गुरूद्वारे, चर्च, महिला मंडल, धार्मिक संस्था, रामलीला कमेटी, दुर्गा पूजा, मदरसे, क्रिकेट क्लब, स्पोर्ट क्लब, युवा क्लब, मजदूर किसान संगठन, आंदोलन, प्रेस क्लब, सारे अस्पताल, सारी डिस्पेंसरी, आर.डब्ल्यू.ए क्लब, रोटरी क्लब, लाइंस क्लब इत्यादि आएंगे। इन सभी संस्थाओं में काम करने वाले सभी पंडित, मौलवी, पफादर, सिस्टर, बिशप, ग्रंथी, अध्यापक, डॉक्टर इत्यादि को सरकारी अफसर घोषित किया गया है। इसके दायरे में केवल 10 प्रतिशत नेता और 5 प्रतिशत सरकारी अधिकारी आएंगे। 90 प्रतिशत नेता, 95 प्रतिशत  अधिकारी, सभी कंपनियां और सभी राजनैतिक पार्टियां इसके दायरे के बाहर होंगी।

·         पिछले 6 महीने से सरकार और कांग्रेस प्रवक्ता, औपचारिक और अनौपचारिक तरीके से टीम अन्ना और इस देश के लोगों द्वारा ड्राफ्रट किए जन लोकपाल पर जो-जो आरोप लगा रहे हैं, वो आरोप जनलोकपाल पर तो सरासर झूठे थे, लेकिन सरकारी लोकपाल पर ये सारे आरोप सच साबित होते हैं। मसलन ये बिल जन विरोधी है, भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है, अव्यवहारिक है, ख़तरनाक है इत्यादि।

·         लोकपाल पूरी तरह से सरकार के हाथ की कठपुतली होगा, जिसको इस्तेमाल करके सरकार सभी संस्थानों पर शिकंजा कस सकती है।
लोकपाल का चयन पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में होगा। पांच सदस्यीय चयन समिति में तीन सरकार के अपने होंगे (चयन समिति में प्रधनमंत्री, नेता विपक्ष, स्पीकर, चीफ जस्टिस और सरकार द्वारा चयनित एक वकील)। खोज समिति और चयन प्रक्रिया के बारे में बिल पूरी तरह से शांत है। लोकपाल के सदस्यों को हटाना भी सरकार के नियंत्रण में होगा। सरकार अथवा 100 सांसदो की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट जांच करेगा और जांच के दौरान सरकार उस सदस्य को निलंबित कर सकती है। लोकपाल के वरिष्ठ अधिकारीयों का चयन सरकार द्वारा बताए गए नामों में से होगा।

·         ये क़ानून आने के बाद सीबीआई पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाएगी। आज सीबीआई पूछताछ, जांच, अभियोजन खुद करती है। अब सीबीआई से पूछताछ और अभियोजन को छीना जा रहा है, तो सीबीआई के टुकड़े-टुकड़े करके  निष्क्रिय बनाया जा रहा है। सीबीआई निदेशक का चयन राजनैतिक नियंत्रण में कर दिया गया है। अब इसका चयन प्रधनमंत्री, नेता विपक्ष और चीफ जस्टिस करेंगे। जाहिर है प्रधनमंत्री और नेता विपक्ष कमज़ोर निदेशक की ही सिफारिश करेंगे। सख्त निदेशक आ गया तो उन्हीं के खिलाफ जांच शुरू कर देगा। सीबीआई पर लोकपाल का निरीक्षण का अधिकार होगा- ऐसा बताया जा रहा है। यह बिल्कुल भ्रामक है और पूरे देश के साथ धोखा किया जा रहा है। लोकपाल का सीबीआई के ऊपर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं होगा। सीबीआई पूरी तरह से सरकार के नियंत्रण में रहेगी। लोकपाल केवल पोस्टमेन की तरह सीबीआई को शिकायत भेजने का काम करेगा।

·         ग्रुप `सी´ और `डी´ कर्मचारी पूरी तरह से लोकपाल के दायरे के बाहर हैं। ग्रुप `सी´ और `डी´ कर्मचारियों के मामले में लोकपाल केवल पोस्ट ऑफिस की तरह सारी शिकायतें सीवीसी को भेजेगा। सीवीसी पर लोकपाल का किसी भी तरह से नियंत्रण नहीं होगा। नियंत्रण के नाम पर सीवीसी लोकपाल को केवल त्रौमासिक रिपोर्ट भेजेगा। सीवीसी के 232 कर्मचारी 57 लाख ग्रुप `सी और डी´ के भ्रष्टाचार की तहकीकात कैसे करेंगे? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है? इस बिल की एक बड़ी विडंबना यह है कि ग्रुप `सी´ और `डी´ के मामलों की जांच भी सीबीआई करेगी और अपनी रिपोर्ट सीवीसी को भेजेगी। लेकिन जांच का अभियोजन डालने की ताकत सीबीआई को नहीं होगी। ग्रुप `सी´ और `डी´ के अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन कौन करेगा इस पर बिल मौन है।

·         आज़ादी के बाद पहली बार भ्रष्टाचार के मुकदमें में भ्रष्टाचारी अफसरों और नेताओं को मुफ्त में वकील सरकार मुहैया कराएगी और उन्हें हर तरह की क़ानूनी सलाह देगी।

·         शिकायतकर्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए आरोपी अधिकारी और नेता को सरकार मुफ्त में वकील मुहैया कराएगी। भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ तो शिकायत होने के बाद जांच होगी और शिकायत के लगभग दो साल बाद मुकदमा होगा, लेकिन शिकायतकर्ता के खिलाफ मुकदमा शिकायत करने के अगले दिन ही जारी हो जाएगा। 

·         भ्रष्ट अधिकारियों को निकालने की ताकत लोकपाल को नहीं बल्कि उसी विभाग के मंत्री को होगी। आज तक जो मंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच के आदेश नहीं देते थे, क्योंकि अधिकतर मामलों में वो भी मिले होते थे, क्या वो भ्रष्ट अधिकारियों को नौकरी से निकालेंगे

·         अगर लोकपाल के कर्मचारी भ्रष्ट हो गए तो क्या होगा? सरकारी बिल कहता है कि लोकपाल खुद ऐसे मामलों का जांच करेगा। प्रश्न उठता है कि क्या लोकपाल खुद अपने ही कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लेगा? जन लोकपाल में सुझाव दिया गया था कि लोकपाल के कर्मचारियों की शिकायत के लिए एक स्वतंत्र शिकायत प्राधिकरण बनाया जाए। सरकार ने इस नामंजूर कर दिया है।

·         हमने यह भी कहा था कि लोकपाल की कार्यप्रणाली पूरी तरह पारदर्शी हो। इसके लिए हमने कहा था कि हर मामले की जांच पूरी होने के बाद उससे संबंधित सभी रिकॉर्ड वेबसाइट पर डालें जाएं। सरकार ने यह मांग भी ठुकरा दी है। इससे साफ ज़ाहिर है कि सरकारी लोकपाल पूरी तरह भ्रष्टाचार का अड्डा बन जाएगा।

·         भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने वालों को संरक्षण देने की बात इस बिल में कहीं नहीं की गई है।

·         कार्पोरेट करप्शन पर जन लोकपाल में ढेरों सुझाव दिए गए थे। उन सबको नामंजूर कर दिया गया है। मसलन-
1.
हमने मांग की थी कि यदि कोई कंपनी नियम-क़ानून के खिलाफ जाकर सरकार से कोई फ़ायदा लेती है तो उसे भ्रष्टाचार घोषित किया जाए। सरकार ने यह बात नहीं मानी है।
2.
भ्रष्टाचार के आरोपी पाई जाने वाली कंपनी से जुर्माने के रूप में उस रकम का पांच गुना वसूला जाए, जितना उसने सरकार को नुकसान पहुंचाया, यह बात भी नहीं मानी गई है।
3.
भ्रष्टाचार में लिप्त पाई गई कंपनी और उसके प्रमोटर्स द्वारा बनाई गई अन्य कंपनियों को भी भविष्य में कोई सरकारी ठेका लेने से ब्लैकलिस्ट किया जाए। यह बात भी सरकार ने नहीं मानी।

·         किसी भी भ्रष्टाचार के मामले में स्वयं संज्ञान लेने का अधिकार लोकपाल को नहीं होगा। 

·         एक अध्ययन के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामलों को निपटाने में हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट में 25 साल लगते हैं। हमने मांग की थी कि हाईकोर्ट में स्पेशल बैंच बनाए जाए ताकि छ: महीनों में अपीलों का निपटारा हो सके। सरकार ने यह बात भी नहीं मानी।

·         सीआरपीसी में पेचीदगी की वजह से ट्रायल व अपील में काफी वक्त लग जाता है हमने इसके कुछ प्रावधानों में संशोधन सुझाया था जिसे सरकार ने नहीं माना है।

·         केंद्र में तो लोकपाल सीबीआई से जांच करा लेगा, लेकिन राज्यों में लोकायुक्त किससे जांच कराएगा? इस बारे में बिल खामोश है। अत: लोकायुक्त को जांच का काम राज्य की पुलिस से ही करवाना पडे़गा।



4 comments:

  1. I (Shiva) will Support to Anna Hazare & requested to support to Anna Hazare to all Indian.

    ReplyDelete
  2. arre kab tak ye nehru-gandhi dekh ko loot ke le jaate rahenge....paagal bana ke rakha hua hai inhone dekh kaa....

    ReplyDelete
  3. सरकार खुद चोरों सॆ मिल कर बनी हुई है, ऐसे मे जनलोकपाल खुद उन्ही के लिए खतरा है,इसीलिए नहीं मान रहे हैं।........पर हमे संघर्ष करना है अपने लिए,अपनो के लिए, अपने देश के लिए.......

    ReplyDelete
  4. कोलावरी-कोलावरी- दी नेता- नेता यह नेता ...आलसी खाते जायदा- काम कम ...आलसी फेले-फेले -थेले-थेले ...आलसी पहले बाप -फिर माँ, अब ब्च्हे. सब को इस्तमाल किया ...आलसी अब अपना वजन संभालो कुछ अछा काम कर डालो ...आलसी इतना जो गिर जाओगे गाँधी का झंडा ना उठा पाओगे ...आलसी कोलावरी-कोलावरी- दी

    ReplyDelete