कुछ लोग भ्रम फैलाने में लगे हैं कि जनलोकपाल एक ``सुपरकॉप´´ यानि एक सर्वशक्तिमान संस्था बन जाएगा जो लोकतन्त्र कमज़ोर करेगा
तो क्या हम एक कमज़ोर लोकपाल चाहते हैं जो भ्रष्टाचारियों के सामने गिड़गिड़ाता रहे कि भाई अपना भ्रष्टाचार हमें बता दो?
संसदीय लोकतन्त्र में चुने हुए प्रतिनिधियों की गरिमा और महत्व सर्वोपरि रहना चाहिए। प्रस्तावित जनलोकपाल कानून में इसे कम करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। वस्तुत: लोकपाल का अर्थ ही है लोकतन्त्र की पालना कराने वाला। प्रस्तावित जनलोकपाल बिल के ड्राफ्ट 2.2 (देखने के लिए क्लिक करें ) और उसके बाद मिल रहे सुझावों के आधार पर तैयार प्रमुख बिन्दुओं को अगर ज़रा भी ध्यान से देखेंगे तो समझ आ जाता है कि यह कानून लोकपाल को नहीं बल्कि देश के आम आदमी को ताकतवर बनाता है।
चाहे लोकतन्त्र हो या कोई और तन्त्र, कुल मिलाकर लोगों के लिए है, किसी अंध्विश्वास का नाम लोकतन्त्र नहीं है। अगर किसी तन्त्र में अपनाई गई परम्पराओं ने लोगों को कमज़ोर किया है तो उन्हें ठीक करते हुए लोगों को और ताकतवर बनाने की ज़रूरत है। क्योंकि कोई भी तन्त्र आखिरकार है तो लोगों के लिए ही। दुर्भाग्य से हमारे लोकतन्त्र में एक सांसद, विधायक खुद को जनता का मालिक समझता है। अगर वह मंत्री हो गया तो खुद को खुदा समझने लगता है। जनता के टैक्स के पैसे पर पलने वाला पूरा का पूरा तन्त्र आम आदमी को शोषित कर रहा है। इसकी बानगी के लिए देश के दूरदराज़ के इलाकों तक जाने की ज़रूरत नहीं है। चमचमाती दिल्ली में हर सरकारी दफ्तर के सामने इस तरह के लोग मिल जाएंगे जो इस तन्त्र के खुदा बन जाने के शिकार हैं। इस तन्त्र में बैठे लोगों की मनमानी और भ्रष्टाचार की बदौलत आज आम आदमी लोकतन्त्र में विश्वास खोता जा रहा है।
तो कहने का मतलब यह है कि लोकतन्त्र को कमज़ोर करने का काम भ्रष्ट अफसर और नेता कर रहे हैं। उनके सामने लोगों की एक नहीं चलती। लोग सिर्फ भिखारी बनकर रह गए हैं। गांव के गरीब को मिलने वाले राशन और पेंशन वगैरह भी इस तरह दिए जाते हैं मानो नेताजी और सरकारी क्लर्क उस पर अहसान कर रहे हों। गरीबों के लिए बनी एक भी योजना भ्रष्टाचार के चलते सफल नहीं हो पा रही। जनलोकपाल कानून बनने के दो साल के अन्दर देश के बहुत से नेता और अफसर जेल की हवा खा रहे होंगे और आम लोगों के पासपोर्ट, ड्राइविंग लाईसेंस जैसे काम बिना रिश्वत के हो रहे होंगे। भ्रष्टाचार ने आज पूरे देश की खुशहाली छीन ली है। अफसर और नेताओं को पैसा खिलाकर बड़ी बड़ी कम्पनियां किसानों को खेती से बेदखल कर रही हैं। व्यापारियों का कोई काम बिना रिश्वत खिलाए नहीं होता। हर ठेके में कमीशन काम की लागत से अधिक हो गया है। गांव से आने वाले लोगों से तो सरकारी दफ्तरों में ठीक से बात तक नहीं की जाती।
बड़े घोटालेबाज़ों को जेल भेजना हो या जनता से रिश्वत मांगने वाले अधिकारीयों पर दण्ड लगाना हो, इसके लिए जनलोकपाल का आना ज़रूरी है। जनलोकपाल कानून एक अहम कदम होगा आम आदमी को मजबूत करने की दिशा में।
जनता द्वारा तैयार जन लोकपाल बिल लागू होने से -
यदि आज हमारा कोई काम तय समय सीमा में नहीं होता है तो दोषी अधिकारी पर ज़ुर्माना लगया जाएगा और मुआवज़े के रूप में हमें दिलवाया जाएगा।
अगर हमारा राशनकार्ड, वोटर कार्ड, पासपोर्ट तय समय सीमा में नहीं बनता है या पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती है तो आज हमारी शिकायत कहीं नहीं सुनी जाती। जन लोकपाल कानून बनता है तो न सिर्फ हमारा काम कराया जाएगा बल्कि दोषी अधिकारी पर एक महीने में एक्शन भी लिया जाएगा।
राशन की कालाबाज़ारी, सड़क बनाने में घोटाला, पंचायत निधि का दुरुपयोग, स्कूल अस्पताल आदि में भ्रष्टाचार से लेकर बड़े बड़े घपलों घोटालों की शिकायत हम सीधे लोकपाल को कर सकेंगे। हमारी शिकायत पर ज्यादा से ज्यादा एक साल में जांच पूरी करनी होगी और दोषी व्यक्ति को अगले एक साल के अन्दर जेल भेजा जाएगा।
जनता की मेहनत की कमाई को लूट लूटकर अपना घर भरने वाले लोगों के भ्रष्टाचार से हुए नुकसान की वसूली भ्रष्ट लोगों से की जाएगी।
ये लोकपाल अपना काम ठीक से कर सकें इसके लिए कुछ बातें ज़रूरी हैं -
ये एकदम स्वतन्त्र होनी चाहिए। यानि नेता और अफसर इनके ट्रांसफर आदि न करवा सकें
नेताओं और अफसरों की जांच का अधिकारी एक ही एजेंसी, यानि लोकपाल के पास हो। अभी यह अलग अलग होती है।
किसी भ्रष्ट नेता या अफसर की जांच के लिए उन्हें उसी के बॉस से इजाज़त लेने की मजबूरी नहीं होनी चाहिए।
लोकपाल के पास आने वाले मामलों की संख्या के आधार पर स्पेशल कोर्ट के जजों की नियुक्ति हो ताकि एक साल में दोषियों को जेल भेजा जा सके।
किसी अधिकारी या नेता के भ्रष्टाचार के चलते देश को हुए नुकसान की वसूली उसके और उसके परिवार की सम्पत्ति बेचकर की जानी चाहिए।
केन्द्र सरकार पिछले 42 साल से इस कानून को लाने का झांसा दे रही है। इसलिए ज़रूरी है कि हम सब मिलकर सरकार को बाध्य करें कि वह जनता द्वारा तैयार जनलोकपाल के में कही बातों के अनुसार ही कानून बनाए।
प्रचार किया जा रहा है कि जनलोकपाल कानून बन गया तो हमारी लोकतान्त्रिक संस्थाएं कमज़ोर पड़ जाएंगी। तर्क दिया जा रहा है कि लोकपाल जनता की चुनी हुई संसद और सरकार के ऊपर कैसे हो सकता है।
जनलोकपाल में लोकतन्त्र के कमज़ोर होने का राग अलाप रहे लोगों को यह भी समझना होगा कि लोकतन्त्र एक व्यवस्था को कहा जाता है, धन, पैसे और राजनीतिक कृपा के दम पर कुर्सियों से चिपक गए लोग लोकतन्त्र नहीं होते। एक अच्छा जनलोकपाल कानून बनेगा तो ऐसे लोगों के भ्रष्टाचार करने की ताकत कम होगी। आम आदमी का शोषण करने की ताकत कम होगी।
जनलोकपाल कानून, आज़ाद भारत का शायद पहला ऐसा कानून जो बनने से पहले ही इतना लोकप्रिय हो गया हो और जिसके बनने में इतनी जनचर्चा हुई हो। एक तरफ सरकार की 10 सदस्यीय समिति, जिसमें 5 केन्द्रीय मंत्री और 5 समाजसेवी लोग शामिल हैं, लगभग हर सप्ताह माथापच्ची कर रही है। दूसरी तरफ इस कानून के लिए जनान्दोलन खड़ा करने वाले समाजसेवी अन्ना हज़ारे और उनके साथी देश के कोने कोने में जाकर, समाज के हर वर्ग के साथ चर्चा कर रहे हैं। इतनी जनचर्चा, इतने लोगों के सुझाव शायद ही किसी कानून के बनने में लिए गए हों। देश की जनता बड़ी उम्मीद के साथ इस कानून को बनवाने के काम में जुटी है। याद रहे कि चन्द लोगों की किताबी बहस में हम जनता की उम्मीद ना तोड़ दें।
सभी सरकारी ओफिसो में कैमेरा होना चाहिए|
ReplyDeleteआम आदमी और अफसर की बात विडीयो-रेकोर्ड होनी चाहिए|
काम हो जाने के बाद दोनोकी सहमती से रेकोर्डेड फाइल डीलीट होनी चाहिए|
JANLOKPAL BILL KO ANA HI ANA CHAHIYE ISSE UN GARIB AUR MAJBUR LOGO KO SAHARA MILEGA JO ASAHAY HAI MERA MANNA HAI K JANLOK PAL AA GAYA TO DES SE 85% TAK BHRASTACHAR PAKKA MIT JAYEGA AGAR SAHI LOKPAL BILL AA GAYA TO .KUCHH BHI HO JAN LOKPAL BILL LANA HAI TO LANA HAI CHAHE ISKE LIYE SULI HI KYO NA CHADNA PADE.
ReplyDeleteJAI HIND
प्रन्ताप व्यास भाई सिर्फ केमरे होने से कुछ नहीं हों पायेगा एक SLA (Service Level Agreement) होना बहुत जरूरी है जिससे हर काम की तय समय सीमा हों और अगर वो काम उस तय समय सीमा मे नहीं हों पा रहा तो उचित कारण हों तभी कुछ होगा
ReplyDeleteअगर आप केमरे की बात करे तो इंदौर के कुछ दफ्तरों मे केमरे हैं भी लेकिन उसका आँखों देखा तथा भुक्त भोगियों से सुना हाल अगर आप जानना चाहते हैं तो मेरे ब्लॉग पर मैने कुछ लिखा था उसकी लिंक आपको मै अलग से भेज दूंगा
hamey azadi mile 60 se jayada sall ho chuke hain .agarkoi bhi sarkar bhrishtachar ke khilaf hoti to kab ka lokpal bill pass ho gaya hota.
ReplyDeletehamare hissab se govt ko pure india se mat dalwane chahiye ke anna hajjare ka lokpal bill pass hona chahiye ke nahin.
ReplyDeleteJan Lokpal will definately super hit. This is requiring more and more public support and participation. With public participation this agenda can not succeed.
ReplyDeleteHamare sabhi neta chor hai...!
ReplyDeleteDesh ko Karj me duba rahe hai ..
aur apan kamai kar rahe hai ..
ese acha to kale ingrag ache the.