Saturday, February 4, 2012

अन्ना आंदोलन का अगला चरण

अन्ना के नेतृत्च में पूरा देश भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क पर उतरा। एक ही मांग थी- `जन लोकपाल बिल´  भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त क़ानून। ताकि  भ्रष्टाचार करने वालों को सज़ा मिले, उनके मन में डर पैदा हो। क्या जनता की मांग नाजायज़ थी?
कई जन्मत संग्रह हुए। 95% से ज्यादा जनता टीम अन्ना और जनता द्वारा बनाए गए `जन लोकपाल बिल´  के साथ थी। कई टी.वी. चैनलों ने सर्वे कराए। 80% से अधिक जनता ने जन लोकपाल बिल का समर्थन किया।
इसके बावजूद सरकार ने एक लूला-लंगड़ा, कमज़ोर और ख़तरनाक लोकपाल बिल संसद में प्रस्तुत किया। लोकसभा में यह पास भी हो गया। जल्द ही राज्यसभा में भी पास हो जाएगा। लालू यादव ने खुलकर कहा- कोई भी सांसद और कोई पार्टी जन लोकपाल बिल नहीं चाहती।
इसका मतलब देश की 80% से अधिक जनता ने एक क़ानून की मांग की और इस देश की संसद वह क़ानून देने में अक्षम रही। उल्टा देश की संसद जनता की उस मांग के खिलाफ खड़ी हो गई। तो क्या हम इसे `जनतंत्र´ कहेंगे?" इसी संसद में कलमाड़ी, कनिमोई, राजा जैसे अनेकों  भ्रष्टाचारी सदस्य हैं। इसी संसद के 160 से अधिक सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। सवाल उठता है कि क्या यह संसद इस देश को गरीबी, भुखमरी और  भ्रष्टाचार से मुक्ति दिला सकती है? या ये संसद ही इस देश की सबसे बड़ी समस्या बन गई है?
जन लोकपाल की लड़ाई ने भारतीय `जनतंत्र´ के खोखलेपन को जनता के सामने ला दिया है। क्या यह सरकार, यह व्यवस्था और यह संसद कभी भी जन लोकपाल क़ानून दे सकती है? चाहे किसी भी पार्टी की सरकार बने। क्या ये  भ्रष्टाचारी नेता और पार्टियां कभी भी अपने गले में खुद फांसी का फंदा डालेंगे? जब तक पूरी व्यवस्था को मूल चूल रूप से नहीं बदला जाएगा, क्या तब तक जन लोकपाल क़ानून आ सकता है? क्या अब हमारी व्यवस्था के बारे में कुछ मूलभूत प्रश्न पूछने का समय आ गया है। जैसे-
क्या आज की न्याय प्रणाली गरीबों को न्याय देती है? क्या विधानसभाएं और संसद वाकई `जन हित´ में क़ानून बनाती हैं? पुलिस जनता को संरक्षण देती है या आपराधिक को? सीबीआई  भ्रष्टाचारियों को सज़ा दिलवाती है या उन्हें संरक्षण देती है? क्या कभी आपको ऐसा एहसास या अनुभव हुआ कि प्रधानमंत्री ने वाकई आपके और आपके परिवार की भलाई के लिए काम किया? क्या यह पूरा का पूरा सिस्टम बुरी तरह से सड़ नहीं गया है? 
क्या इन सब प्रश्न के उत्तर मांगने का समय आ गया है\ क्या इस सड़ी गली व्यवस्था को बदलने का समय आ गया है? क्या एक नई व्यवस्था की स्थापना का समय आ गया है?
देश को वैचारिक क्रांति की जरूरत है। वैचारिक मंथन करके इन प्रश्नों के समाधान ढूंढने की जरूरत है। जिस दिन पूरा देश वैचारिक स्तर पर खड़ा हो गया- इस क्रांति को कोई नहीं रोक पाएगा। क्रांति अहिंसक होगी लेकिन देश में मूलभूत परिवर्तन करेगी।
इसके लिए देशभर में चर्चा समूहों का गठन किया जा रहा है। इनका नाम है- स्वराज चर्चा समूह या अन्ना चर्चा समूह।
इन समूहों के ज़रिए जनता सामूहिक रूप से यह प्रश्न खड़े करेगी और इनके समाधान ढूंढेगी। यदि आप भी इस क्रांति का हिस्सा बनना चाहते हैं तो ऐसे ही एक चर्चा समूह का गठन कीजिए और अनेकों ऐसे समूहों का गठन करने में मदद कीजिए।

चर्चा समूह क्या है?
कोई भी व्यक्ति अपने कुछ मित्रों, सहकर्मियों, पड़ोसियों आदि के साथ मिलकर चर्चा समूह शुरू  कर सकता है। शुरू करने वाला व्यक्ति आयोजक कहा जा सकता है। इन्हें हम स्वराज चर्चा समूह अथवा अन्ना चर्चा समूह भी कह सकते हैं। चर्चा समूह की बैठक हर सप्ताह, निश्चित समय और स्थान पर हो।

चर्चा समूह क्यों?
लोगों के मन में जनलोकपाल और आंदोलन के बारे में कई तरह की शंकाएं और सवाल उठ रहे हैं। स्वार्थी और  भ्रष्ट  तत्वों द्वारा जानबूझकर फैलायी जा रही अफवाहों के कारण कई तरह के भ्रम फैल रहे हैं। इन शंकाओं और सवालों के जवाब अभी तक केवल मीडिया के माध्यम से ही मिल पा रहे थे। कई बार ऐसे जवाब इकतरपफा, अधूरे या भ्रामक होते हैं। चर्चा समूह दो-तरफा संवाद का माध्यम बनेगा।

यह संवाद दो तरफा कैसे होगा?
हर सप्ताह एक पर्चा और वीडियो तैयार किया जाएगा। इसे वेबसाईट पर भी डाला जाएगा। इस पर्चे और वीडियो के माध्यम से सवालों और शंकाओं के जवाब लोगों तक सीधे पहुंचाए जाएंगे। चर्चा समूहों की बैठक में शामिल होने वाले लोग सवाल रखेंगे। चर्चा समूह के आयोजक इन सवालों के जवाब आंदोलन के नेतृत्व से लेकर अगली बैठकों में रखेंगे। इन चर्चा समूहों के माध्यम से लोग अपने सुझाव और विचार भी आंदोलन के नेतृत्व तक पहुंचा सकेंगे।

चर्चा समूह की बैठक कितने समय में होगी?
चर्चा समूहों की सफलता के लिए उचित होगा कि ये बैठकें सप्ताह में एक बार निश्चित समय और स्थान पर हों।
चर्चा समूह शुरू कैसे होगा?
कोई भी व्यक्ति जो शारीरिक या भावनात्मक रूप से अन्ना के आंदोलन से जुड़ा हुआ है वह अपने परिवार के सदस्य, दोस्तों, सहकर्मियों या पड़ोसियों के साथ मिलकर एक चर्चा समूह शुरू कर सकता है।
चर्चा समूह में कितने लोग होने चाहिए?
कोई भी व्यक्ति पांच या अधिक लोगों से चर्चा समूह शुरू कर सकता है और धीरे-धीरे ज्यादा लोगों को जोड़ सकता है। लेकिन अगर संख्या बहुत ज्यादा हो जाए तो एक चर्चा समूह को कई चर्चा समूहों में बांटा जा सकता है।

चर्चा समूह में आयोजक की भूमिका क्या होगी?
1) कुछ लोगों को एक साथ लेकर चर्चा समूह को शुरू करना एवम् सुनिश्चित करना कि लोग हर सप्ताह नियमित रूप से चर्चा समूह में आएं। कोशिश करें कि ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा समूह का हिस्सा बनें।
2) हमारी वेबसाइट पर हर हफ्ते एक पर्चा और फिल्म अपलोड किया जाएगा जिसमें आंदोलन और बिल के संबंध् में मुद्दे शामिल होंगे। उसे डाउनलोड कर बैठक में लाने की जिम्मेदारी आयोजक की होगी।
3) चर्चा समूह में आयोजक या तो खुद या फिर कोई अन्य व्यक्ति पर्चे को पढ़कर सुनाएगा। अगर संभव हो तो फिल्म भी दिखाई जा सकती है। अगर फिल्म दिखाना संभव नहीं है तो IVR नंबर 09212123212 पर डायल करके स्पीकर फ़ोन की सहायता से लोगों को सुनाया जा सकता है और फिर चर्चा शुरू की जा सकती है।
4) आयोजक के लिए आवश्यक नहीं है कि वह कोई अच्छा वक्ता हो या सभी सवालों के जवाब दे। वह सिर्फ आंदोलन के नेतृत्व और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करेगा। चर्चा के अंत में जो सवाल रह जाते हैं वह हमारी हेल्पलाइन 09718500606 पर फ़ोन करके या indiaagainstcorruption.2010@gmail.com ईमेल  के माध्यम से उनके जवाब जाने जा सकते हैं।  प्राप्त जवाबों पर चर्चा अगली बैठक में की जाएगी।
5) चर्चा के दौरान अगर कोई विचार या सुझाव आते हैं तो उसकी जानकारी आंदोलन के नेतृत्व तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी आयोजक की होगी। आंदोलन के नेतृत्व से उपयुक्त हेल्पलाइन या ईमेल के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है।
6) चर्चा समूह का सदस्य बनने के लिए किसी भी प्रकार के पंजीकरण(रजिस्ट्रेशन) की कोई आवश्यकता नहीं है।
7) आयोजक में किसी स्पेशल योग्यता की जरूरत नहीं है। बस देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हो।

अगर आयोजक पर्चे में लिखी हुई बातों से सहमत नहीं है तो उसका समाधान क्या है?
यह आवश्यक नहीं है कि आयोजक पर्चे में लिखी बातों से सहमत हो। जब चर्चा के दौरान पैम्फ्रलेट पढ़ा जाएगा और फिल्म दिखाई जाएगी और फिल्म उसपर लोगों के बीच में चर्चा होगी। तत्पश्चात चर्चा समूह में मौजूद लोगों को अगर ये लगता है कि जो हम कहना चाह रहे हैं वो गलत है तो इस बात की सूचना आंदोलन के नेतृत्व तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आयोजक की होगी। चर्चा समूह का मकसद ही यही है कि हम लोगों के विचार जाने और आंदोलन जनता की इच्छानुसार चले।

पर्चे की पी.डी.एफ. कॉपी डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें

19 comments:

  1. sarahniye kadam sab ko milkar koshish karni chahiye.

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    1. kya aap Anna ke sandesh ke anusar aapne ward/mohhalla/village me chharchha ke liye meetings arange kar sakti hai ..... hamne patiala me 12/02/12 se , is ka shuruat kar diya hai,,, ham sabko aur apko aamantrit karte hai .... ham kisi political party ka virodh nahi karte ,,, ham to agli genration ki khushhali ke liye sashakt lokpal ki maang karte hai-- yakin kijie bharat isse dunia ki sab se bdi aur kushhal takat ban jae ga .

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  2. अगर हमारे चर्चा स्मूहु को fite agenst karpsan ke अर्थ मे अक सगदान के रूप मे सासे ये 10 लोगो का गाव की पंचायत लेबिल मे अक फ़ेस बूक पाज के सदस्य हो जो तासील स्तर के नेचे हो जिस्क अक पाज हो जो जिला का सदस्य हो फिर वह र्स्टीय स्तर का सदस्य हो जिसमे हम चैन मरकिएटिग या आधुनिक प्र्बंदन के अनु रूप लोगो के छोटे छोटे ब्र्स्ता चार से लड़ने के लिए प्रेरित करे जो वर्तमान उपलब्द तर्के से सभव हो सके तहा आपके विदोयो के मदाम से यूने येसिखाए के अप किसे भ्र्श्चर के सबूत आरटीआई से अपने मोबिल के स्टिग अप्रेसन से आवज रिकर्ड करके कसे भी बनाए तथा इस आधार पर अपने पंचाट स्तर के सगटन वा जिला स्तर के सगदान के सहुओग व अप के मार्ग दरसन से सुब्रमयम सवामी जैसा योद्धा तयार करे तहा तमाम छोटे से बड़े बरता चार को हर स्तर के फस बॉक या सईद बना कर उस का विडो या जन करी लोड करे था उचित जघ सैकत करे व उसका स्टटस बनाए आपके दावरा जेल बरो के सामी पूरे देस के जगरोक लोगो का डाटा अप के पास है इन लोगो की मदद से ऐसा आत्मनिर्भर सगदान बन जाए जो की भ्र्तचर से लड़ सके तथा वह सरकार के एरदे से वाकिफ कराये व स्वराज चर्चा समूह सरदक हो
    इसमे जब लोग को स्वम के साथ होने वाली कडनाय का निदान मिले ग तो वे जादा उत्साह से कम करे गे जसे चैन मार्केतिग मे कनिसन के लिए लोग दिन रात अक करते है और अक बड़ा सगदान बन जाता है

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  3. respected manish sir
    i fully agree with your lokpal.but i want to bring in your kind notice that working with a narrow goal like lokpal may not be entirely correct.becoz however strong our movement may be but all things all decision making stops at the politicians door.so untill and unless an honest,patriotic viable political option is given to the masses,we may just end like beating around the bush.so we should fight for a broader target apolitically at the moment,widen our horizon including other goals.

    thanks
    dr. ravi yadav

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  4. Respected all IAC members,

    Thanks For uniting us for such unique and naoble cause. But sir pls dont give any comment in against any polytical party because than they divert the movement towards themself. As u all know previously occurd in the case of congress. we all know that we are aginst the govt but the normal uneducated person dont understand these things they only think that our movement is against congress. If we guide and educate the common indian for this truth that will increse our movement strentgh. Atlast we are with u till the end. Lage raho jeet hamari hogi.

    Thanks & regards,

    Vikas Saini.

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  5. If things were to improve by speeches than India should have been a most developed country .......

    things improve by action and action also at right place in right time ......

    speech is like watering the leaves of a tree and action is like watering a root .....

    so we have to first look at the root causes which corrupted our whole system ....

    so think of some proactive measures we all can do.....

    first is the education of young school and college children ....... for the rebuilding the nation ....... your suggestion to create small groups in every city like ward groups and then what they can do to develop that ward .....is very good step.

    development of villages with contribution from public at large ...

    third ......election reforms so mafia of crime , politics , and corporate can not rule ...... feeling of Indian first .....

    fourth ....we need not to waste criticize the bad elements but should devote time appreciating good elements of society ......

    India against corruption and also nation loving organisations should honor humans in every part of the country and even mention them on their pages ......

    these are my humble suggestions .....

    God Bless our Mother India , its people and entire cosmos .....

    love all.

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  6. If things were to improve by speeches than India should have been a most developed country .......

    things improve by action and action also at right place in right time ......

    speech is like watering the leaves of a tree and action is like watering a root .....

    so we have to first look at the root causes which corrupted our whole system ....

    so think of some proactive measures we all can do.....

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    development of villages with contribution from public at large ...

    third ......election reforms so mafia of crime , politics , and corporate can not rule ...... feeling of Indian first .....

    fourth ....we need not to waste criticize the bad elements but should devote time appreciating good elements of society ......

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    these are my humble suggestions .....

    God Bless our Mother India , its people and entire cosmos .....

    love all.

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  7. mera naam Chandan Hai... main nalagarh Himachal Pradesh se hu... main anna team ke har andolan se juda hua hu... main is Blog ke madhyam se sirf ek bat puchna chahta hu... kya Anna Ji ki team ke kisi bhi sdsye se main bat kr sakta hu... agar sambhav ho to... kyon ki main kisi kryakrm ki tyari me lga hu... jiske lioye mujhe Anna team ke sahyog ki jarurat hai


    mera No. 9569871310, 9736364440 hai
    agar koi b Anna team ke kisi bhi member jaise,, ARVIND JI, KIRAN JI, KUMAR VISHWAS JI, SUNIL ji... ke sampark me ho to kripya btaye... aap logo ke jwab ka intzaar rhega... bahut jarurui hai...
    Vande Matram

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  8. sir ......aap log jaha par bhi aandolan karate hai..vaha ka photo or videos jarur post kare jisashe hamare aandolan ko bal milega.......... jay anna,jay arvind.....

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  9. SIR, WE HAVE ORGANIZED ANNA CHARCHA SAMOOH; IT'S FIRST MEETING WILL BE AT RESIDENCE OF BIKRAMJIT SINGH CHHACHHI; DIST.COMDT.HOME GUARDS (RETD); 120-B/1;NAGRA HOUSE; T.B.HOSPITAL ROAD PATIALA (PUNJAB), OUR CONTACT NO IS 09501503515 KINDLY ADVICE US, FOR SUCCESS OF SUCH MEETINGS.

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  10. Sir,FROM LAST 6 YEARS,i (contact no.09463940586) am working on(1) fraudulent working IN THE OFFICE OF A.G.PUNJAB &(2)multicrore overpayment scam by A.G.(A&E) Punjab-- already submitted memorandum to hon'ble Governor Punjab (3) complaint has been submitted to S.S.P. Chandigarh, along with documentary proofs RECEIVED UNDER RTI aCT-05, BUT NO SOLUTION IN SIGHT YET...MORE INTERESTING PUNJAB GOVT. SHIFTED IT'A STAND, & MADE OTHERS RESPONSIBLE FOR OVER PAYMENTS-- I AM STILL IN LAWFUL TIME LIMIT , HENCE I WANT TO SAVE TIME OF HONORABLE COURTS-- HOW I CAN BE HELPED--- BIKRAMJIT SINGH CHHACHHI; DIST.COMDT.(RETD)120/B-1;NAGRA HOUSE; T.B.HOSPITAL ROAD, PATIALA -- I have published every thig in my blogs also,along with such matterial,I AM WORKING FOR STRONG LOK-PAL ON fropper.com>>zones>>chhachhinew

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  11. आरक्षण जिहाद !

    लगता है आजकल राजनेताओं का उद्देश्य देशवासियों की सेवा करना नहीं,बल्कि सत्ता हासिल करना है .जिसके लिए वह हर तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं .इसका एक ताजा उदहारण यह है कि पांच विधान सभाओं के चुनाव से पहले ही केंद्र सरकार ने मुसलमानों के लिए 4 .5 प्रतिशत का आरक्षण कर दिया .जो पिछड़े हिन्दुओं के 27 प्रतिशत से काटा जायेगा .जानकारों के अनुसार इस गैर संवैधानिक कदम से देश में आगे गृहयुद्ध की नौबत आ सकती है .क्योंकि मुलायम ,लालू ,और मा.क .प जैसी पार्टियाँ इसे कम मानती हैमुसलमान किसी न किसी बहाने से अपने जिन अधिकारों के लिए संघर्ष करते आये है .इसी को जिहाद कहा जाता है .धर्म के आधार पर देश को बांटना भविष्य में घातक हो सकता है .इस बात को ठीक से समझाने के लिए हमें जिहाद के बारे में पूरी जानकारी होना जरुरी है .जो यहाँ पर दी जा रही है -
    1-जिहाद का लक्ष्य
    कुरान, हदीसों एवं मुस्लिम विद्वानों के अनुसार जिहाद के उद्‌देश्य है-
    (1) गैर-मुसलमानों को किसी भी प्रकार से मुसलमान बनाना; (2) मुसलमानों के एक मात्र अल्लाह और पैगम्बर मुहम्मद में अटूट विश्वास करके तथा नमाज, रोजा, हज्ज और जकात द्वारा उन्हें कट्‌टर मुसलमान बनाना; (3) विश्व भर के गैर-मुस्लिम राज्यों, जहाँ की राज व्यवस्था सेक्लयूरवाद, प्रजातन्त्र, साम्यवाद, राजतंत्र या मोनार्की आदि से नियंत्रित होती है, उसे नष्ट करके उन राज्यों में शरियत के अनुसार राज्य व्यवस्था स्थापित करना और (4) यदि किसी इस्लामी राज्य में गैर-मुसलमान बसते हों तो उनको इस्लाम में धर्मान्तरित कर के अथवा उन्हें देश निकाला देकर उस राज्य को शत प्रतिशत मुस्लिम राज्य बनाना।
    इसीलिए मै कहता हूँ कि इस्लाम एक धर्म-प्रेरित मुहम्मदीय राजनैतिक आन्दोलन है, कुरान जिसका दर्शन, पैगम्बर मुहम्मद जिसका आदर्श, हदीसें जिसका व्यवहार शास्त्र, जिहाद जिसकी कार्य प्रणाली, मुसलमान जिसके सैनिक, मदरसे जिसके प्रशिक्षण केन्द्र, गैर-मुस्लिम राज्य जिसकी युद्ध भूमि और विश्व इस्लामी साम्राज्य जिसका अन्तिम उद्‌देश्य है।
    निःसंदेह यह अत्यन्त उच्च महत्वाकांक्षी लक्ष्य है जिसके आगे विश्व भर के धर्म आसानी से घुटने नहीं टेकेगें, और कट्‌टर मुसलमान इस संघर्ष पूर्ण जिहाद को स्वेच्छा से बन्द ही करेंग। अतः मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के बीच अल्लाह के नाम पर 'जिहाद' तब तक चलता ही रहेगा जब तक कि मुसलमान अपने सार्वभौमिक राज्य के समने को नहीं त्यागते।

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  12. 2-जिहाद की विधियाँ
    मुसलमान विश्व भर में अल्लाह का साम्राज्य स्थापित करने के लिए जिहाद की जो विधियाँ अपनाते हैं उन्हें व्यापक रूप में चार भागों में बाँटा जा सकता है जैसेः
    (1) सहअस्तित्ववादी जिहाद; (2) शान्तिपूर्ण जिहाद; (3) आक्रामक जिहाद और (4) शरियाही जिहाद। जिन देशों में मुसलमानों की संखया 5 प्रतिशत से कम, और वे कमजोर होते हैं, वहाँ वे शान्ति, प्रेम भाई-चारा व आपसी सहयोग द्वारा सह-अस्तित्ववादी जिहाद अपनाते हैं; तथा अपने धार्मिक आचरण से प्रभावित करके गैर-मुसलमानों को धर्मान्तरित करने की कोशिश करते हैं। जिन देशों में मुसलमान 10-15 प्रतिशत से अधिक होते हैं, वहाँ वे शान्तिपूर्ण जिहाद अपनाते हैं। साथ ही ''इस्लाम खतरे में'', मुस्लिम उपेक्षित' आदि का नारा लगाते हैं। साथ ही मुस्लिम वोट बैंक एक-जुट करके देश के प्रभावी राजनैतिक गुट से मिल जाते हैं तथा मुस्लिम वाटों के बदले सत्ता दल को अधकाधिक धार्मक, आर्थिक एवं राजनैतिक अधिकार देने को विवश करते हैं। साथ ही गैर-मुसलमानों को धर्मान्तरित, व उनकी युवा लड़कियों का अपहरण, एवं प्रेमजाल में फंसाकर, चार शादियाँ करके तथा तेजी से जनसंखया दर बढ़ाने का प्रयास करते हैं। आज कल भी 'लव जिहाद राजनैतिक जिहाद का एक मुखय अंग है। भारत के विभिन्न प्रान्तों में लव जिहाद की अनेक घटनाएँ हुई हैं अकेले केरल में पिछले चार वर्षों में ही गैर-मुसलमानों की 2800 लड़कियाँ 'लव जिहाद Love Jihad' के जाल में फंसकर इस्लाम में धर्मान्तरित हो गई हैं। (Pioneer- 11.12.2009
    इस मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति के फलस्वरूप मुस्लिम अल्पमत में होते हुए भी बड़ी प्रभावी स्थिति में हो जाते हैं। फिर भी वे वहाँ की मूल राष्ट्र धारा से नहीं जुड़ते हैं। अलगाववाद इस्लाम की मौलिक विशेषता है क्योंकि यह राष्ट्रवाद, प्रजातंत्र, सेक्यूलरवाद और मुसलमानों को स्वतंत्र चिन्तन की आज्ञा नहीं देता है। इतिहास साक्षी है कि पड़ोसी मुस्लिम देशों से अवैध घुसपैठ, आव्रजन (इम्मीग्रेशन) और मुस्लिम जनसंखया विस्फोट के फलस्वरूप विश्व के अनेक गैर-मुस्लिम देश इस्लामी राज्य हो गए हैं। यूरोप व भारत में यह प्रक्रिया आज भी तेजी से चली रही है। जनसंखया विशेषज्ञों के अनुसार 2060 तक भारत में हिन्दू अल्पमत में हो जायेंगे (जोशी आदि-रिलीजस डेमोग्राफी ऑफ इंडिया Religious Demography of India)
    सार की बात यह है कि किसी देश में जिहाद की कार्यविधि वहाँ इस्लाम की शक्ति और उद्‌देश्य के अनुसार बदलती रहती है। जैसे-जैसे मुसलमानों की शक्ति बढ़ती जाती है, सह अस्तित्ववादी शान्तिपूर्ण जिहाद सशस्त्र आक्रामक जिहाद में बदल जाती है। यह नीति पूर्णतया कुरान पर आधारित है जिसे कि मक्का और मदीना में अवतरित आयतों के स्वभाव में अन्तर साफ साफ देखा जा सकता है।

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  13. 3-भारत का इस्लामीकरण
    पाकिस्तान मिलने के बाद मुसलमानों ने नारा दिया : ''हँस के लिया है पाकिस्तान, लड़ लेंगे हिन्दुस्तान''। इसीलिए 1947से ही भारत में इस्लामी जिहाद जारी है जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तानी एवं भारतीय मुसलमान सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
    कांग्रेस नेता एवं भूतपूर्व शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद ने पूरे भारत के इस्लामीकरण की वकालत करते हुए कहा- ''भारत जैसे देश को जो एक बार मुसलमानों के शासन में रह चुका है, कभी भी त्यागा नहीं जा सकता और प्रत्येक मुसलमान का कर्तव्य है कि उस खोई हुई मुस्लिम सत्ता को फिर प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करें'' बी.आर. नन्दा, गाँधी पेन इस्लामिज्म, इम्पीरियलज्म एण्ड नेशनलिज्म पृ. 117)एफ. ए. दुर्रानी ने कहा- ''भारत-सम्पूर्ण भारत हमारी पैतृक सम्पत्ति है उसका फिर से इस्लाम के लिए विजय करना नितांत आवश्यक है तथा पाकिस्तान का निर्माण इसलिए महत्वपूर्ण था कि उसका शिविर यानी पड़ाव बनाकर शेष भारत का इस्लामीकरण किया जा सके।'' (पुरुषोत्तम, मुस्लिम राजनीतिक चिन्तन और आकांक्षाएँ, पृ. 51,53)जैसे मुहम्मद के अध्यक्ष मौलाना मसूद अजहर, जिन्हें 2000में कंधार में हवाई जहाज में बन्धक बनाए 160यात्रियों के बदले छोड़ा गया था, ने हाजरों लोगों की उपस्थिति में कहाः ''भारतीयों और उनको बतलाओ, जिन्होंने मुसलमानों को सताया हुआ है, कि मुजाहिद्‌दीन अल्लाह की सेना है और वे जल्दी ही इस दुनिया पर इस्लाम का झंडा महराएंगे। मैं यहाँ केवल इसलिए आया हूँ कि मुझे और साथी चाहिए। मुझे मुजाहिद्‌दीनों की जरूरत है जो कि कश्मीर की मुक्ति के लिए लड़ सकें। मैं तब तक शान्ति से नहीं बैठूंगा जब तक कि मुसलमान मुक्त नहीं हो जाते। इसलिए (ओ युवकों) जिहाद के लिए शादी करो, जिहाद के लिए बच्चे पैदा करो और केवल जिहाद के लिए धन कमाओ जब तक कि अमरीका और भारत की क्रूरता समाप्त नहीं हो जाती। लेकिन पहले भारत।'' (न्यूज 8.1.2000)
    तहरीका-ए-तालिबान के सदर हकीमुल्लाह ने कहाः ''हम इस्लामी मुल्क चाहते हैं। ऐसा होते ही हम मुल्की सीमाओं पर जाकर भारतीयों के खिलाफ जंग में मदद करेंगे।' (दै. जागरण, 16.10.2009)
    भारतीय व पाकिस्तानी मुसलमान पिछले 62वर्षों से एक तरफ कश्मीर में हिंसा पूर्ण जिहाद कर रहे हैं जिसके कारण पांच लाख हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी हो गए तथा हजारों सैनिक व निरपराध नागरिक मारे जा चुके हैं; तथा दूसरी तरफ वे शान्तिपूर्ण जिहाद द्वारा भारत सरकार के सामने नित नई आर्थिक, धार्मिक व राजनैतिक मांगे रख रहे हैं। इनके कुछ नमूने देखिए-

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  14. 4-मुसलमानों की विभिन्न मागें
    नौकरियों में आरक्षण- (1) मुसलमान युवकों को रोजगार-परक शिक्षा के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सरकारी स्कूल खुलवाना, (2) उर्दू के विकास के लिए संघर्ष करना, (3) सामान्य व प्रोफेशनल कॉलेजों में दाखिले के लिए आरक्षण मांगना, (4) स्पर्धा वाली सरकारी परीक्षाओं की तैयारी के लिए विशेष वजीफा व सुविधा आदि मांगना, (5) सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं में नौकरियों में आरक्षण मांगना, (6) निजी व्यवसाय खोलने के लिए कम ब्याज दर पर पर्याप्त ऋण पाने की मांग करना आदि।आर्थिक सहायता- (1) बढ़ती मुस्लिम जनसंखया के लिए अधिकाधिक हज्ज के लिए सब्सिडी की मांग करना, (2) मुस्लिम बहुल राज्यों में हज्ज, हाउसों की स्थापना की मांग करना, (3) मस्जिद, मदरसा, व धार्मिक साहित्य के लिए प्राप्त विदेशी सहायता पर सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करना, (4 )उर्दू के अखबारों के लिए सरकारी विज्ञापन एवं धार्मिक साहित्य छापने के लिए सस्ते दामों पर कागज का कोटा माँगना, (5) मस्जिदों के इमामों के लिए वेतन माँगना, (6) वक्फ बोर्ड के नाम पर राष्ट्रीय सम्पत्ति पर कब्जा करना एवं सरकारी सहायता मांगना आदि।मुस्लिम जनसंखया- मुस्लिम जनसंखया वृद्धि दर को बढ़ाना ताकि अगले 15-20वर्षों में वे बहुमत में आकर भारत की सत्ता के स्वतः वैधानिक अधिकारी हो जावें। इसके लिए (1) बहु-विवाह करना, (2) परिवार नियोजन न अपनाना, (3) हिन्दू लड़कियों का अपहरण करना, (4) धनी, व शिक्षित हिन्दू लड़कियों को स्कूल व कॉलेजों में तथा कार्यालयों में प्रेमजाल में फंसाकर एवं धर्मांतरण कर विवाह करना, (5) बंगला देश के मुसलमान युवकों को योजनापूर्ण ढंग से भारत में बसाना, उनकी यहाँ की लड़कियों से शादी कराना व बेरोजगार दिलाना, (6) हिन्दुओं का धर्मान्तरण करना आदि।
    आश्चर्य तो यह है कि एक तरफ सरकार भारत को सेक्यूलर राज्य कहती है और दूसरी तरफ धर्म के आधार पर मुसलमानों व ईसाइयों को विशेष सुविधाएँ देती है जो पूर्णतया असंवैधितिक है।

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  15. 5-मुसलमानों को दी गयी सुविधाएँ
    धार्मिक सुविधाऐं- विश्व के 57 इस्लामी देशों में से कही भी मुसलमानों को हज्ज यात्रा के लिए आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है क्योंकि हज्ज के लिए आर्थिक सहायकता लेना गैर-इस्लामी है। परन्तु भारत सरकार प्रत्येक हज्ज यात्री को हवाई यात्रा के लिए 28000/- की आर्थिक सहायता देती है। हजियों के लिए राज्यों में हज हाउस बनाए गये हैं। इतना ही नहीं जिद्‌दा में हाजियों की सुविधाएँ देखने के लिए एक विशेष दल जाता है, मानो वहाँ की एम्बेसी काफी नहीं है।वक्फ बोर्ड- मुस्लिमों वक्फ बोर्डों के पास बारह लाख करोड़ी की सम्पत्ति है जिसकी वार्षिक आय 12000/- करोड़ है। फिर भी सरकार वक्फ बोर्डों को आर्थिक सहायता देती है। मदरसा- सरकार ने धार्मिक कट्‌टरवाद एवं अलगावदवाद को बढावा देने वाली मदरसा शिक्षा को न केवल दोष मुक्त बताया बल्कि उसके आधुनिकीकरण के नाम पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए आर्थिक सहायता देती है। फिर भी मुसलमान इन मदरसों को केन्द्रीय मदरसा बोर्ड से जु ड़ने देना नहीं चाहते। यहाँ तक कि पाठ्‌यक्रम में सुझाव व अन्य किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं मानतेराजनैतिक- (1) अल्पसंखयकों के नाम पर, विशेषकर मुसलमानों के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया और उनके लिए 11वीं पंचवर्षीया योजना में 15प्रतिशत बजट रखा गया। (2) 2004में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने आतंकवाद में फंसे मुसलमानों को बचाने के लिए पोटा कानून निरस्त कर दिया जिसके फलस्वरूप देश में आतंकवाद बढ़ रहा है। (3) मुस्लिम पर्सनल कानूनों और शरियत कोर्टों का समर्थन किया; (4) 13दिसम्बर 2001में संसद पर हमले के दोषी अफजलखां को फांसी की सजा आज तक लटकी हुई है। (5) 17 दिसम्बर 2006को नेशनल डवलपमेंट काउंसिल की मीटिंग में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने यहाँ तक कह दिया कि ''भारतीय संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।'' आर्थिक- (1) सच्चर कमेटी द्वारा मुस्लिमों के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए 5460/- करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया; (2) उनके लिए सस्ती ब्याज दर पर ऋण देने के लिए एक कारपोरेशन बनाया गया, (3) सार्वजनिक क्षेत्र में उदारता बरतें। इस अभियान की निगरानी के लिए एक मोनीटरिंग कमेटी' काम करेगी।'' (दैनिक नव ज्योति,( 4.1.2006)। 13अगस्त 2006 को सरकार ने लोक सभा में बतलाया कि मुस्लिम प्रभाव वाले 90 जिलों और 338शहरों में मुसलमानों के लिए विशेष विकास फण्ड का प्रावधान किया गया है।

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  16. स्वार्थवश कुछ दिन राज करने के लिए भारत के इस्लामीकरण में निर्लज्जता के साथ सहयोग दे रहे हैं। वे उन करोड़ों देशभक्तों के साथ विश्वासघात कर हरे हैं जिन्होंने देश के लिए बलिदान किए। कांग्रेस एवं अन्य सेक्यूलर पार्टियों का मुस्लिमों के सामने आत्म समर्पण एवं वोट बैंक की राजनीति करना देश की भावी स्वाधीनता के लिए चिन्ता का विषय है। सरकार की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति के कारण सारा देश इस्लामी जिहाद और आतंकवाद से पीड़ित है। क्या देश की सेक्यूलर पार्टियों को दिखाई नहीं देता कि पाकिस्तान एवं भारत के मुसलमान शेष भारत में इस्लामी राज्य स्थापित करना चाहते हैं?
    मुस्लिम तुष्टीकरण करना उन लाखों करोड़ों देशभक्तों की शहादत का अपमान है जिन्होंने भारत को इस्लामी राज्य बनने से बचाया।

    http://www.hinduwritersforum.org/hamare-prakasan/jihada-kya-aura-kyom

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  17. sab samsyaon ka hal h ki des main janta k pratinidhiyon ka sasan ho na ki kisi dal ke gulamon ka sanvidhan k mutabik chunav samanta ke adhar per or FREE & FAIR Hone chahiye lekin rajnatik dalon ke davab main unke pratinidhiyon ko vise nisan jari karke chunav ayog chunavon ko asaman bana raha h or janpratinidhi TIKET pane ke liye party gulam ban rahe h agar des main vayavastha privartan karna h to sabse pahle is samsya ka hal kijiye. sujav janne ke liye apni email id post kareain anilgoyal73@rediffmail.com

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